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द्वारिका मठ शंकराचार्य ने बताई अयोध्या नहीं जाने की वजह:कहा- वहां अनुष्ठान शुरू हो गया, अब इस पर चर्चा का अवसर नहीं

22 जनवरी को अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि पर बने मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होगी। इस आयोजन को लेकर राम जन्मभूमि न्याय, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, विश्व हिंदू परिषद के साथ बीजेपी और तमाम संगठन तैयारियों में जुटे हुए हैं।

इस बीच, एक तरफ जहां मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस सहित तमाम राजनीतिक दलों ने आयोजन को बीजेपी का इवेंट बताते हुए इसमें शामिल होने से मना कर दिया। वहीं, शंकराचार्यों के बयानों के बहाने नेता प्राण प्रतिष्ठा के आयोजन पर सवाल उठा रहे हैं। भोपाल पहुंचे गुजरात के द्वारिका पीठ के शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती से दैनिक भास्कर ने चर्चा की। पढ़िए...

सवाल : आपको अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का आमंत्रण मिला है? आप जा रहे हैं?
जवाब : 
हमें इसका आमंत्रण दिया गया है, लेकिन जाना संभव नहीं है, क्योंकि वहां अभी निर्माण कार्य चल रहा है। जहां राम जी की मूर्ति स्थापित होनी है, वो स्थल भी अभी ही तैयार हुआ है। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में लोग जा रहे हैं। हमारी तरफ से भी काफी लोग जा रहे हैं, इसलिए हमने तय किया है कि प्राण प्रतिष्ठा के बाद हम भगवान के दर्शन के लिए जाएंगे।

यह हमारे सद्गुरु शंकराचार्य का अभियान रहा है। इसके चलते उनकी 1990 में गिरफ्तारी भी हुई थी। जब गिरफ्तारी हुई तो हम भी उस गाड़ी में थे। शंकराचार्यों ने मंदिर निर्माण के लिए काफी प्रयास किए हैं। उनका सपना पूरा हो रहा है। यह सभी के लिए बड़ा अवसर है। इससे हमारे देश के गौरव में वृद्धि होगी।

 

गुजरात की द्वारिका पीठ के शंकराचार्य सदानंद सरस्वती भोपाल के केरवा इलाके में एक नवनिर्मित आवास का उद्घाटन करने पहुंचे थे।

सवाल : इस आयोजन को लेकर शंकराचार्यों के अलग-अलग तरह के बयान आ रहे हैं?
जवाब : अब इस विषय में चर्चा करने का अवसर नहीं बचा है। प्राण प्रतिष्ठा का संकल्प लिया जा चुका है। विद्वान ब्राह्मण वहां पहुंच चुके हैं। अनुष्ठान प्रारंभ हो गया है। ब्राह्मणों की ओर से मंत्रोच्चार भी शुरू हो गया है। गर्भगृह में मंगल कार्यक्रम हो रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने व्रत ले लिया है। उस विषय में चर्चा करना उचित नहीं होगा। जैसा हो रहा है होने दीजिए।

सवाल : अयोध्या में होने वाले प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर क्या सोचते हैं?
जवाब : राम जन्मभूमि जहां परमात्मा श्री राम, माता कौशल्या की गोद में प्रकट हुए, वह विवादित थी। यह बात सभी को मालूम है। विवाद 400-500 सालों से चल रहा था कि वह मस्जिद है या मंदिर। 1949 से उसमें पूजा प्रारंभ हुई। फिर बंद हो गई। 1986 से पूजा फिर शुरू हुई। फिर दोनों ओर से हिंदू और मुस्लिम धर्मावलंबी अदालत गए। लंबे समय तक मामला चला। फिर साक्ष्यों, प्रमाणों और वास्तविकता के आधार पर राम जन्मभूमि को हमने प्राप्त किया। आज वहां भव्य मंदिर का निर्माण हुआ है। परमात्मा श्री राम पहले से थे। राम जन्मभूमि भी पहले से थी।

 

वहां राजा दशरथ, रानी कौशल्या का महल था, जहां पर राम ने अवतार लिया। आध्यात्मिक और शास्त्रीय प्रमाण हैं। अंत में पुरातत्व विभाग द्वारा भी यह बात प्रमाणित हो गई। वहां खुदाई की गई तो​​​​​​ हमारे देश की ​प्राचीन शिल्प कला के नमूने प्राप्त हुए। जो मस्जिदों में नहीं मिला करते हैं। आदेश पर राम जन्मभूमि तीर्थ न्याय ट्रस्ट का निर्माण किया गया। उस ट्रस्ट ने पूरे देश के रामभक्तों से धन एकत्रित करके राम मंदिर का निर्माण किया है। यह प्रसन्नता का अवसर है, इसमें सभी को सहभागी होना चाहिए।

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