देश में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव अगर एक साथ कराए जाते हैं तो हर 15 साल में सिर्फ EVM पर 10 हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे। इलेक्शन कमीशन ने शनिवार को केंद्र सरकार को चिट्ठी लिखकर इस बात की जानकारी दी है।
चुनाव आयोग ने बताया कि EVM की शेल्फ लाइफ 15 साल ही होती है। यदि एक साथ चुनाव कराए जाते हैं तो मशीनों के एक सेट का इस्तेमाल तीन बार चुनाव कराने के लिए किया जा सकता है, लेकिन लोकसभा और विधानसभा के लिए अलग-अलग मशीनें लगेंगी।
आयोग ने सरकार को बताया चुनाव के लिए EVM का गणित
अक्टूबर 2023 में कहा था- तैयारियां पूरी हुईं तो 2029 में हो सकेंगे एक साथ चुनाव
अक्टूबर 2023 में सामने आई कुछ खबरों में यह दावा किया गया था कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने के लिए चुनाव आयोग को 30 लाख कंट्रोल यूनिट्स, करीब 43 लाख बैलेट यूनिट्स और करीब 32 लाख VVPAT की जरूरत होगी। इसमें उन चीजों को रिजर्व में रखना भी शामिल है, जिससे खराबी आने पर यूनिट को बदला जा सके। रिपोर्ट्स में यह भी बताया गया था कि अभी 35 लाख वोटिंग यूनिट्स की कमी है।
EC ने चुनाव के लिए एक्स्ट्रा पोलिंग और सिक्योरिटी पर्सनल्स की बात पर भी जोर दिया था। इसके साथ ही EVMs के लिए स्टोरेज सुविधा और ज्यादा वाहनों की बात भी कही थी। EC ने कहा था कि नई मशीनों, स्टोरेज फैसेलिटी और लॉजिस्टिकिल मुद्दों को ध्यान में रखते हुए हम देश में एकसाथ चुनाव 2029 में करा सकते हैं। पढ़ें पूरी खबर...